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Sheetala Ashtami 2024 : शीतला अष्टमी की शुरुवात कैसे हुई और कब से हुई ? जानिए

Sheetala Ashtami 2024 : शीतला अष्टमी व्रत इस वर्ष 2 अप्रैल को होगी , जिन लोगों की सप्तमी होती है, उनकी सप्तमी कल 1 अप्रैल को होगी। 2 अप्रैल को बसौड़ा पर्व होगा।शीतला माता का जन्म कुम्हार, प्रजापति या ब्रह्मा से हुआ था, और उनका पुजारी प्रजापति या कुम्हार जाति का था, जो उनकी पूजा एक चमत्कारी देवी और बच्चों की रक्षा करने वाली देवी ( माता ) के रूप में करते हैं।

 चेचक, छोटी माता, फोड़ा नभानी जैसी बीमारियाँ इनकी शक्ति ( कृपा ) से ठीक हो जाती हैं, पूजा करके, कुम्हार जाति के पुजारी से झाड़ू लगाकर।

शीतला माता सभी क्षत्रिय जातियों (कुम्हार, गुर्जर, जाट, यादव, राजपूत, आदि) की माता है।

जयपुर ( राजस्थान ) के नरेश राजा माधो सिंह ने शीतला माता का सबसे बड़ा मंदिर, शील की डूंगरी चाकसू, में बनाया था।

Sheetala Ashtami 2024 :
Sheetala Ashtami 2024 :Sheetala Mata

 1.जयपुर के राजपूत समाज इस देवी को अपनी इष्ट देवी मानते है| 

 2.जयपुर के कच्छवाहा राजपूत इसे अपनी कुलदेवी मानते हैं।

हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध देवी शीतला माता हैं। यह प्राचीन (पूर्व ) काल से ही बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। स्कंद पुराण में शीतला देवी की सबसे बड़ी बहन देवी परमेश्वरी (चमरिया) है, जिनकी सात बहने हैं: शीतला, दुर्गा, काली, चंडी, पलमति, बड़ी माता (चमरिया) और भानमती |  जो बड़ी माता भी कहलाते हैं शतला माता को गर्दभ कहा जाता है। ये हाथों में सूप, मार्जन (झाडू), कलश और नीम के पत्ते रखती हैं। 

इन्हें चेचक आदि कई बीमारियों की देवता कहा जाता है। इन चीजों का प्रतीकात्मक अर्थ है । कि एक मूल्यांकन ग्रंथ के अनुसार, जाति का पुजारी ही देवी शीतला (कुम्हार) की पूजा कर सकता है। वह उनके चेचक की व्यग्रता में कपड़े उतार देता है। रोगी को सूप से हवा दी जाती है, चेचक के फोड़े झाडू से फट जाते हैं | 

फोड़े नीम के पत्ते से नहीं सड़ते। रोगियों को ठंडा जल अच्छा लगता है, इसलिए कलश महत्वपूर्ण है। गर्दभ की लीद का लेपन चेचक के दागों को मिटाता है। शीतला-मंदिरों में लगभग: माता शीतला को गर्दभ पर ही आसीन दिखाया गया है।

Sheetala Ashtami 2024 : PHOTO

Sheetala Mata : शीतला माता के साथ ज्वरासुर, जो ज्वर का देवता है, ओलै चंडी बीबी, जो हैजे की देवी है, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण, जो त्वचा रोग का देवता है, और रक्तवती, जो रक्त संक्रमण का देवता है।

 इनके कलश में दाल के दानों के रूप में शीतल, स्वास्थ्यवर्धक और रोगाणु नाशक जल है।।शताक्षी देवी को कुछ लोग शीतला देवी कहते हैं, जो छोटी माता का नाम है। तथा छोटी चेचक के इलाज के लिए देवता की पूजा करते हैं। 

इनकी बड़ी बहन देवी परमेश्वरी माता चमरिया को उनकी बड़ी माता कहा जाता है। बड़ी चेचक की चिकित्सा के लिए पूजा करते हैं। तो यह शीतला माता के बारे में | 

इनकी पूजा का स्तोत्र स्कन्द पुराण ( गीता )  में शीतलाष्टक के रूप में मिलता है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने इस स्तोत्र को जनहित में लिखा था। शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा गाता है और भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए प्रेरित करता है।

 A.Sheetala Mata 2024 : मैं भगवती शीतला की पूजा करता हूँ, जो गर्दभ पर विराजमान है, दिगम्बर है, हाथ में झाडू और कलश है, और उसका मस्तक सूप से अलंकृत है। 

 B.यह पूर्णत: शीतला माता के वंदना मंत्र से स्पष्ट होता है कि ये देवी स्वच्छता की अधिष्ठात्री हैं। हमारे हाथों में मार्जनी झाडू होने का मतलब है कि हम भी स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए। कलश का अर्थ है कि स्वच्छता रहने पर ही स्वास्थ्य समृद्धि आती है।

 C.मान्यता है कि इस व्रत को करने से शीतला देवी प्रसन्न होती हैं और इससे कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धित फोडे, नेत्रों के सभी रोग, शीतलाकी फुंसियों के लक्षण और शीतलाजनित दोष दूर होते हैं।

2.Sheetala Mata 2024 : माता शीतला को क्यों बासी भोग लगाते है ? जानिए

इस दिन चूल्हा नहीं जलता, इसलिए खाना बासी होता है। ऋतु का अंतिम (लास्ट ) दिन है। बासा इसके बाद कोई खाना नहीं खाता। मान्यताओं के अनुसार माता शीतला रोगों को दूर करने वाली हैं, इसलिए पहले दिन परिवार को भोजन बनाया जाता है और इसे बासी भोजन कहते हैं।

 शीतला सप्तमी पर व्रतियों को प्रात: काल शीतल जल से स्नान करना चाहिए और फिर नियमित रूप से मां शीतला की पूजा करनी चाहिए। घर में शीतला माता की पूजा के दिन चूल्हा नहीं जलता है। 

सारा भोजन सप्तमी तिथि के दिन ही बनाकर तैयार कर लिया जाता है. फिर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर शीतला माता की पूजा करती हैं।

 तब मां को बासी भोजन दिया जाता है और घर के सभी लोग भी खाते हैं। हिंदू धर्म में शीतला माता की पूजा के दिन ताजा खाना खाना और गर्म पानी से स्नान करना गैरकानूनी है। इन बातो को खास ध्यान जरूर रखे | 

3.Sheetala Ashtami 2024 : शीतला माता को प्रसन( खुश ) कैसे करे

 Sheetala Ashtami 2024 : शीतला माता को प्रसन करे 

A.इस दिन सुबह उठकर गंगा जल से स्नान करें। नारंगी रंग का साफ वस्त्र पहनें।

B.पूजा के लिए दो थाली सजाएं।

C.एक थाली में दही, रोटी, पुआ, बाजरा, नमक पारे, मठरी और सप्तमी के दिन बनाए गए मीठे चावल डालें।

D.आटे का दीपक दूसरी थाली में बनाकर रखें।

E.रोली, सिक्का, मेहंदी, वस्त्र अक्षत और ठंडे पानी से भरा लोटा रखें।

F.घर के मंदिर में शीतला माता की पूजा करें, बिना दीपक जलाए रखें और थाली में भोग चढ़ाएं।

G.जल नीम के पेड़ पर डालें।

H.इससे प्रसन्न होकर मां शीतला आपको आशीर्वाद देती हैं।

4.Sheetala Mata 2024 : सीतला माता की आरती जरूर पढ़े

Sheetala Mata 2024 : सीतला माता की आरती जरूर पढ़े

1.जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता | जय

2.रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, ऋद्धिसिद्धि चंवर डोलावें, जगमग छवि छाता | जय

3.विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता, वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता | जय

4.इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा, सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता | जय

5.घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता, करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता | जय

6.ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता, भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता | जय

7.जो भी ध्यान लगावैं प्रेम भक्ति लाता, सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता | जय

8.रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता, कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता | जय

9.बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता, ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता | जय

10.शीतल करती जननी तुही है जग त्राता, उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता | जय

11.दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता, भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता | जय


नोट = यह आर्टिकल सिर्फ पढ़ने के लिए है , कृपया इसको सीरियस न ले | 

धन्यवाद ! 

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