Hanuman Jayanti 2024 : हनुमान जी , जिसका नाम संस्कृत में हनुमान, आंजनेय और मारुति भी है, और हिन्दू धर्म में भगवान की भक्ति की सबसे प्रचलित व्याख्या है और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक श्री बजरंग बलि हैं।
हनुमान जी वानरों के राजा केसरी और उनकी पत्नी अंजना के छः पुत्रों में सबसे बड़ा और पहला बेटा था। महा भारत रामायण कहता है कि वे जानकी से बहुत प्यार करते हैं। बजरंगबली भी इस धरती पर अमरत्व का वरदान पाने वाले सात मनीषियों में भी शामिल हैं।
भगवान राम की सहायता के लिए हनुमान का अवतार हुआ था। हनुमान जी के पराक्रम की बहुत सी कहानियाँ प्रचलित हैं। इन्होंने राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और वानरों की मदद से असुरों को मार डाला, जो बहुत ही प्रसिद्ध है। जानिए हनुमान जी का पूरा इतिहास !
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Toggle1.Hanuman Jayanti 2024 : हनुमान जी का जन्म कैसे जानिए
Hanuman Jayanti 2024 : हनुमान जी का जन्म ज्योतिषीयों की सटीक गणना के अनुसार, हनुमान जी का जन्म 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा (मंगलवार) को चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे आज के हरियाणा राज्य के कैथल जिले में हुआ था, जिसे पहले कपिस्थल कहा जाता था।
वज्र की तरह हनुमन जी का शरीर होने के कारण इन्हें बजरंगबली कहा जाता है। वे पवन-पुत्र भी कहलाते हैं। हनुमान का पालन-पोषण वायु (हवा के देवता) ने किया था।
संस्कृत में मारुत का अर्थ हवा है। नन्दन का अर्थ है बेटा। हनुमान जी “मारुति” या “मारुत-नन्दन” हैं, जो वायु का बेटा है।
2.Hanuman Jayanti 2024 :हनुमान जी के द्वारा सूर्य को फल समझना क्या है जानिए
Hanuman Jayanti 2024 : जब वे पैदा हुए थे , तो उनकी माता एक दिन फल लाने के लिए आश्रम छोड़कर चली गईं थी । जब शिशु हनुमान जी को भूख लगी, तो वे सूरज को फल समझकर उसे खाने के लिए आकाश में उड़ने लगे थे । पवन भी उनकी सहायता करने के लिए बहुत तेजी से चला रहे ।
उधर, भगवान जी सूर्य ने उन्हें बाल-बच्चे मानकर अपने बल से नहीं जलने दिया था । सूर्य को पकड़ने के लिए हनुमान लपके, राहु भी सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। जब हनुमान ने राहु को सूर्य के ऊपरी हिस्से में टच या छुआ, तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया था ।
उसने इन्द्र से कहा, “देवराज ! तुमने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्रमा को बनाया ही है।” दिये थे। आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया, तब मेने देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने उसके पीछे जा रहा है।”
देशभर के मेरे परिवारजनों को हनुमान जयंती की असीम शुभकामनाएं। पवनपुत्र का समर्पण भाव समस्त रामभक्तों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बना रहेगा। उनकी कृपा से विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा मिले, यही कामना है। जय बजरंगबली ! pic.twitter.com/O4VnQhLfOh
— Narendra Modi (@narendramodi) April 23, 2024
यह सुनकर इन्द्र बहुत घबरा गए और उसे सूर्य की ओर ले गए। सूर्य को छोड़कर हनुमानजी राहु पर झपटे रहे थे । जब राहु ने इन्द्र को बचाने के लिए कहा, तो उन्होंने हनुमानजी को वज्रायुध से मारा, जिससे वे एक पहाड़ी पर गिर गए और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई थी ।
वायुदेव को हनुमान की यह हालत देखकर गुस्सा इतना आया। उसी समय वे रुक गए। इससे दुनिया में हर कोई जीव साँस नहीं ले सकता था और सब तड़पने लगे थे । तब सभी जीवों, चाहे वे सुर, असुर, यक्ष या किन्नर हों, सब ब्रह्मा की शरण में आ गाए थे ।
ब्रह्मा ने उन सभी को वायुदेव के पास भेजा। वे दुखी होकर मूर्छत हनुमान जी को गोद में लिये बैठे थे। । जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया ,तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा बिलकुल दूर की। फिर ब्रह्माजी ने कहा – कि कोई भी शस्त्र इसके अंग को हानि भी नहीं कर सकता हैं । इन्द्र ने कहा कि इसका शरीर वज्र से भी बहुत कठोर होगा।
सूर्यदेव ने कहा – कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद भी दिया। वरुण ने कहा – मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित और हमेशा रहेगा। यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया। यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये हनुमान जी को !
प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त, पवनपुत्र हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव के मंगल पर्व हनुमान जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। pic.twitter.com/Y04knJl3Y8
— Ravindra Singh Bhati (@RavindraBhati__) April 23, 2024