रक्षाबंधन: रक्षाबंधन कब है ,इसका इतिहास और रीति रिवाज क्या है जानिए

रक्षाबंधन : प्रेम, सुरक्षा और भाईचारे का पर्व 

रक्षाबंधन, जिसे राखी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के पवित्र रिश्ते को मनाता है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो कि भारतीय पंचांग के अनुसार जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ता है। 2024 में, रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन :

रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व बहुत प्राचीन है और भारतीय पौराणिक कथाओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। इस त्यौहार की उत्पत्ति और इसके महत्व को समझने के लिए हमें कुछ प्रमुख कथाओं और पौराणिक प्रसंगों का अध्ययन करना होगा। 

A.यम और यमी की कथा –

प्राचीन कथाओं के अनुसार, यमराज और यमी (यमुनाजी) भाई-बहन थे। यमी ने अपने भाई यमराज को एक रक्षासूत्र बांधा और उनसे वादा लिया कि वे उसकी रक्षा करेंगे। इस कथा के अनुसार, यमराज ने अपनी बहन यमी को वरदान दिया कि जो भी भाई अपनी बहन से रक्षा का वचन लेगा, उसे यमराज का भय नहीं होगा। 

इस प्रकार रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों से रक्षा का वचन लेते हैं और बहनें उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।

रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व

B.कृष्ण और द्रौपदी की कथा –
महाभारत के समय की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को मारा तो उनके हाथ में चोट लग गई। उस समय, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण के हाथ में बांध दिया।

इसे कृष्ण ने एक रक्षासूत्र के रूप में स्वीकार किया और वचन दिया कि वे सदैव द्रौपदी की रक्षा करेंगे। इस कथा के माध्यम से, यह संदेश दिया गया है कि रक्षाबंधन सिर्फ रक्त संबंधों तक सीमित नहीं है; यह एक वचन है जो दो आत्माओं को सुरक्षा और प्रेम के धागे से जोड़ता है।

2. रक्षाबंधन के रीति-रिवाज

रक्षाबंधन के रीति-रिवाज

रक्षाबंधन: रक्षाबंधन के दिन, भाई-बहन एक दूसरे को उपहार देते हैं और एक दूसरे के प्रति अपने स्नेह और सम्मान को व्यक्त करते हैं। इस दिन की शुरुआत में, बहनें पूजा की थाली तैयार करती हैं, जिसमें राखी, चावल, कुमकुम, दीया और मिठाई होती हैं। पूजा करने के बाद, बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं, उनके माथे पर तिलक लगाती हैं, और उनके हाथ पर राखी बांधती हैं। इसके बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं। 

3.रक्षाबंधन के विविध रंग

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, रक्षाबंधन के त्यौहार को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। राजस्थान में, इस त्यौहार को “लूंगी रक्षाबंधन” कहा जाता है, जहां पुरुष अपनी बहनों को उपहार में वस्त्र देते हैं। 

महाराष्ट्र में, इसे नारियल पूर्णिमा के साथ मनाया जाता है, जो कि समुद्र के देवता वरुण की पूजा का दिन है। दक्षिण भारत में, इसे “अवनी अवित्तम” कहा जाता है, जो ब्राह्मण पुरुषों के लिए एक विशेष अनुष्ठान है।

4.आधुनिक युग में रक्षाबंधन

समय के साथ, रक्षाबंधन के रूप और परंपराएं बदल गई हैं। आधुनिक युग में, जहां परिवार अलग-अलग शहरों और देशों में बस चुके हैं, रक्षाबंधन का त्यौहार अब एक साथ मिलने का अवसर बन गया है। 

डिजिटल युग में, राखी भेजने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स का उपयोग किया जाता है। वीडियो कॉल्स और मैसेज के माध्यम से भाई-बहन अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, और इस तरह की तकनीक ने भौगोलिक दूरियों को भी कम कर दिया है।

आधुनिक युग में रक्षाबंधन

5.रक्षाबंधन और पर्यावरण

हाल के वर्षों में, लोगों ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों को मनाने के लिए पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीकों का चयन किया है। 

इस संदर्भ में, बायोडिग्रेडेबल राखियां, रीसायकल पेपर का उपयोग, और प्लास्टिक मुक्त सजावट जैसे विकल्प अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अलावा, लोग अपने उपहारों में पौधे और पुस्तकें शामिल कर रहे हैं, जो एक सकारात्मक और स्थायी संदेश देता है।

6.रक्षाबंधन: भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक

रक्षाबंधन: भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक

रक्षाबंधन केवल राखी बांधने और उपहार देने तक सीमित नहीं है; यह भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और मजबूती को दर्शाता है। यह त्योहार उन पलों को संजोने का एक अवसर है जब भाई-बहन एक-दूसरे के साथ रहते हैं, लड़ते हैं, हंसते हैं, और एक-दूसरे की देखभाल करते हैं। यह पर्व उन भावनाओं का प्रतीक है जो समय के साथ और मजबूत होती जाती हैं, चाहे जीवन की राह में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हों।

7.निष्कर्ष

रक्षाबंधन का त्योहार हमारे समाज और संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते की महत्ता को रेखांकित करता है। यह एक ऐसा अवसर है जो हमें यह याद दिलाता है कि परिवार और रिश्ते हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं।

 2024 में, जब हम रक्षाबंधन का यह पर्व मनाएंगे, तो हमें अपने रिश्तों को संवारने और उन्हें सहेजने का संकल्प लेना चाहिए। इस त्योहार के माध्यम से, हमें यह सीखने का मौका मिलता है कि प्यार, सम्मान और सुरक्षा का यह बंधन हमारी जिंदगी में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर, सभी भाई-बहनों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। आपका जीवन हमेशा प्रेम, खुशहाली और सफलता से भरा रहे। इस रक्षाबंधन पर, अपने प्रियजनों के साथ बिताए गए उन खूबसूरत पलों को संजोएं और अपने रिश्तों को और भी मजबूत बनाएं।

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!

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