Heeramandi Review : इस वेब सीरीज में सोनाक्षी सिन्हा ने ऐसा किरदार निभाया है जिसे देखकर आप चौक जाओगे। जानिए

Heeramandi Review : मूवी हीरामंडी द डायमंड बाजार, वेब सीरीज का निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली ने सिर्फ एक एक घंटे के चार और करीब पौने-पौने घंटे के चार और एपिसोड, यानी कुल आठ एपिसोड को, बनाना शुरू किया था। इस फिल्म को पहली बार मोइन बेग से इसका विचार सुनने के बाद से ही उनका सपना पूरा हुआ है। चार साल से किसी ने इसे बनाया है। उससे पहले से ही संजय ने इसका संगीत को बनाया है।

 सीरीज का संगीत एम तुराज और संजय लीला भंसाली ने लिखा है, जबकि सेट्स सुब्रत चक्रवर्ती और अमित रॉय ने बनाए हैं। यह स्पष्ट है कि संजय लीला भंसाली ने सीरीज को संपादित किया है, इसलिए इसमें कोई अतिरिक्त घटना नहीं होगी। Storyline आजादी से कुछ साल पहले की ही है। लाहौर में रंगमंच होता है। इसके सबसे महत्वपूर्ण किरदार तवायफ का हैं। लखनऊ और बनारस इसके उद्गम स्थान माना जाता हैं।

Heeramandi Review :

Heeramandi Review : इस मूवी की बात शुरू होती है तब वेब शो “हीरामंडी द डायमंड बाजार” से एक है । ये है मल्लिका जान की कहानी। और लाहौर के इस कोठे पर मल्लिका जान की पहुंच की कहानी भी है, जो यहां की सबसे शक्तिशाली तवायफ ने अपने हाथों से पूरी बनाई। उसके क्रोध से बेटियां भी कांपती हैं। 

बड़ी बेटी बिब्बोजान लुके-छिपे विद्रोहियों का साथ देती है। उसकी शेरो शायरी दूसरी आलमजेब की बगावत का है। ‘हीरामंडी द डायमंड बाजार’ का असली हीरा, शायर नियाजी की महफिल तक पहुंची छोटी बेटी का रोल है, जो अपनी गजल के अंतिम शेर को ‘मतला’ नहीं कहकर उसके अंतिम शेर को ही कहती रहती है। । इन दोनों बेटियों की अलग-अलग प्रेम कहानियां हैं, लेकिन लज्जो से भी एक है।

 वह शराब पीकर देवदास की तरह दीवानी हो गई है। मल्लिकाजान अपने अतीत का साया करवट लेता रहता है और नए तेवर में अपने पुराने रूप में लौट आता है। और कोठों पर कब्जे की लड़ाई आजादी की लड़ाई से अधिक तीव्र है। नवाबों के सुरूर को फेंटता तवायफों का गुरूर है और एक ऐसी पटकथा है जो आपको एक बार देखने के बाद रुकने भी नहीं देती।

हीरामंडी द डायमंड बाजार

2. Heeramandi Review : प्रॉफेक्शन से आगे निकल गए संजय लीला जानिए

Heeramandi Review : इस मूवी सीरीज में निर्देशक संजय लीला भंसाली के सामने एक चुनौती ऐसी है कि वह अपने प्रशंसकों को ऐसा कुछ और दिखाएं जो वे पहले कभी उनकी फिल्मों में नहीं देख चुके हैं। दर्शकों को फिल्म “गंगूबाई काठियावाड़ी” में उनकी कहानियों में बनावटीपन का पहला एहसास तब हुआ। जब यह फिल्म पूरी तरह से कृत्रिम लगती है, जैसे कुछ फीलिंग वेब सीरीज हीरामंडी द डायमंड बाजार देखते समय मिलता है । 

किरदार इतना सुंदर हैं कि लगता है कि हम आजादी से पहले की कोई कहानी देख रहे हैं। बागी भी पूरे मेकअप में ही हैं, और संजय की टीम ने हर फ्रेम का “कोना कोना कोटक” करने में पूरी मेहनत की है ताकि कोई भी “सीन” गरीब न दिखे। ये सीरीज तकनीकी तौर पर जरूरत से अधिक समृद्ध हैं। और सिनेमा को इतना ज्यादा “परफेक्शन” बनाने में देर नहीं लगती। उनके गाने अति सुंदर हैं। कॉस्ट्यूम चुनने में उनकी मेहनत स्पष्ट है। उन्होंने सेट्स को सजाने में जो कीमियागिरी की है, वह भी आंखों में अटकती रहती है।

Heeramandi Review:

Heeramandi Review : यह मूवी याद रहेगा शेखर सुमन और अध्ययन सुमन ने इंद्रेश मलिक की वेब सीरीज हीरामंडी द डायमंड बाजार में कुछ खास भी नहीं किया है। बल्कि, शेखर सुमन को सीरीज में पहली बार दिखते ही देखकर सोचना पड़ता है कि उन्हें खुद पर हंसी उड़ाने वाला ऐसा किरदार ही क्यों करना पड़ा होगा। 

प्रयोग ने जोरावर की भूमिका बहुत सलीके से निभाई गई है। हम नहीं जानते कि जुल्फिकार की युवावस्था के किरदार में भी अध्ययन को ही चुनने की क्या वजह रही होगी, लेकिन ये दोहराव दर्शकों को भ्रमित करेगा। दर्शकों को उस्ताद का किरदार बरसोंबरस याद तक रह जाएगा। यह अभिनय करने वाले कलाकार इंद्रेश मलिक की प्रशंसा देखने लायक है। अंग्रेज अफसर बने जैसन शाह ने भी अपना असर छोड़ा को है।

नोट = यह आर्टिकल सिर्फ पढ़ने के लिए है कृपया इसको सीरियस न ले।
धन्यवाद !

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